OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर का मतलब – भारत में अलग-अलग जाति व धर्म के लोग रहते हैं और सरकार ने जाति के आधार पर इन्हें आरक्षण प्रदान किया है। आरक्षण के तहत SC/ST/OBC कैटेगरी आती है और सरकार द्वारा OBC वर्ग को दो भागों में बांटा गया है:
OBC क्रीमी लेयर क्या है?
OBC क्रीमी लेयर का मतलब है; संपन्न वर्ग, जिसे सरकारी योजनाओं और आरक्षण की जरूरत नहीं होती है। सरकार ने ओबीसी वर्ग को दो भागों में बांटा है; ताकि अति पिछड़ी जाति को उचित रूप से आरक्षण देकर मदद की जा सके।
क्रीमी लेयर के अंतर्गत वह उम्मीदवार आते हैं, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख से अधिक है। इन्हें आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं होता है, क्योंकि यह सरकार की नजरिए से समृद्ध समझे जाते हैं।
OBC नॉन क्रीमी लेयर क्या है?
OBC नॉन क्रीमी लेयर का मतलब है; वह लोग जो पिछड़ी जाति के Reserve Category में आते हैं, जिन्हें सभी सेवाओं का लाभ मिलता है। ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर में 8 लाख से कम आय वाले उम्मीदवार आते हैं। इन्हें सरकार की तरफ से आरक्षण व अन्य लाभ मिलते हैं, क्योंकि यह सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हुए रहते हैं।
OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर के बीच अंतर
दोनों OBC Layers के बीच मुख्य अंतर इस प्रकार है:
- नॉन क्रीमी लेयर के अंतर्गत कैंडिडेट की पारिवारिक सालाना आय 8 लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके विपरीत अगर सालाना आय 8 लाख या अधिक है तो वह क्रीमी लेयर में आता है।
- कैंडिडेट के माता-पिता Class 3 से कम पद पर काम कर रहे होते हैं तो, उन्हें नॉन क्रीमी लेयर में रखा जाता है। माता-पिता Class 3 से ऊपर पद पर कार्य कर रहे होते हैं तो, उन्हें क्रीमी लेयर में रखा जाता है।
यह जानकारी उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो OBC कैटेगरी में आते हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना चाहते हैं। इसे समझने के बाद, वे अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर का मतलब
वर्तमान में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण प्राप्त है, लेकिन वह क्रीमी लेयर में नहीं होने चाहिए क्योंकि के अंतर्गत आने वाले लोगों को सरकार से आरक्षण प्राप्त नहीं होता है।
यदि आप ओबीसी में आने वाले हैं या OBC की किसी जाति से संबंध रखते हैं, तो आपको OBC Layers के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि आप सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।
OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर का अर्थ
OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर का मतलब है कि किस तरह से सरकार ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) कैटेगरी को दो विभिन्न वर्गों में विभाजित करती है और इन वर्गों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करती है।
OBC क्रीमी लेयर:
OBC क्रीमी लेयर में वह उम्मीदवार आते हैं, जिनकी परिवारिक आय 8 लाख से अधिक है। इन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता क्योंकि सरकार की दृष्टि से वे समृद्ध माने जाते हैं।
OBC नॉन क्रीमी लेयर:
OBC नॉन क्रीमी लेयर में वह उम्मीदवार आते हैं, जिनकी परिवारिक आय 8 लाख से कम है। इन्हें सरकार की ओर से आरक्षण का और अन्य लाभ मिलता है, क्योंकि वे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए माने जाते हैं।
इस तरह, OBC कैटेगरी के लोगों को उनकी परिवारिक सालाना आय के आधार पर OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर में विभाजित किया जाता है। यह उन्हें सरकारी योजनाओं का सही तरीके से उपयोग करने में मदद करता है।
कैबिनेट नोट और आय की सीमा:
कैबिनेट नोट में कहा गया है कि क्रीमी लेयर की परिभाषा आय की गणना में वेतन को शामिल करने के साथ किसी भी प्रकार की आय पर लागू की जाएगी, परंतु कृषि आय को छोड़ दिया जाएगा। सरकार 12 लाख रुपए तक की आय पर आम सहमति पर विचार कर रही है, जबकि संसद समिति ने यह सीमा प्रतिवर्ष 15 लाख रुपए तक करने की सिफारिश की है। इसके अलावा, OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर की वर्षिक आय सीमा की गणना करते समय वेतन और कृषि राजस्व को बाहर करने की भी सिफारिश की गई है।
इससे स्पष्ट होता है कि OBC क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर के बीच अंतर केवल परिवारिक आय पर नहीं, बल्कि माता-पिता की रैंक और अन्य प्रमुख मानदंडों पर भी होता है।
यह आरक्षण प्रणाली के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाने का प्रयास है ताकि लोग सरकारी योजनाओं का सही तरीके से लाभ उठा सकें।
प्यारे पाठको, इस लेख में हमने आपको बताया है कि क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर क्या होते हैं? साथ ही इन दोनों के बीच मुख्य अंतर को भी जाना। उम्मीद है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा और आपको किसी अन्य वेबसाइट पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
यदि वास्तव में आपको इस लेख से जानकारी मिली है और आपके लिए यह मददगार साबित हुआ है तो उसे अपने मित्रों के साथ या सोशल मीडिया पर साझा करना ना भूलें।